दोस्तो, मेरा नाम पंकज है. मैं सादुलपुर का रहने वाला हूँ.
मेरी उम्र 25 साल है. मैं दिखने हट्टा-कट्टा हूँ. मेरा कद 5 फुट 4 इंच है.
ये मेरी देहाती सेक्स की कहानी अपने दोस्त राजेश की सैटिंग के साथ की है जिसकी मैंने चुदाई की थी.
उस लड़की का नाम रेणु था. वह दिखने एकदम पतली थी और उसकी चूचियां छोटी छोटी थीं.
हुआ ये कि एक दिन मेरा दोस्त मुझसे बोला- यार मेरी गर्लफ्रेंड की चुदाई करने के लिए जगह का इंतजाम नहीं हो रहा है. कुछ करो न यार.
मैंने कहा- अरे वो तो तू मेरे घर पर ही कर सकता है.
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मेरा दोस्त ये सुनकर खुश हो गया.
उसने उसी समय अपनी गर्लफ्रेंड रेणु को फोन लगाया और उससे कहा- मेरे दोस्त के घर में जगह का इंतजाम हो गया है. बोलो क्या तुम इधर आओगी?
वो हंस कर बोली- हां, मगर उधर कोई खतरा तो नहीं है?
राजेश ने कहा- अरे यार वो मेरा पक्का दोस्त है. तुम बेफ़िक्र रहो.
उसने हामी भर दी और अगले दिन का प्रोग्राम बन गया.
दरअसल मेरे मम्मी पापा किसान हैं और वो दिन में खेत में चले जाते हैं. इस समय फसल कटने का वक्त था तो उन्हें मजदूरों से फसल की कटाई के लिए रोज जाना पड़ता था.
अगले दस दिन तक मेरे घर में सिर्फ मैं ही रहने वाला था.
मेरी पढ़ाई चलती थी तो मैं खेत नहीं जाता था.
अब मैंने अपने दोस्त राजेश से उसकी गर्ल फ्रेंड रेणु को चोदने के लिए मेरे घर पर बुलाने के लिए कह दिया.
रेणु मेरे दोस्त की सैटिंग थी तो मेरे घर आ गई और वो दोनों मेरे घर में दूसरे कमरे में जाकर बातचीत करने लगे.
मैंने उसे पहली बार देखा था.
उसका फिगर बहुत ही पतला एकदम मगर कामुक शरीर था.
वो बिल्कुल कच्ची कली थी.
थोड़ी देर बाद वो दोनों कमरे में अपना काम चालू करने लगे.
मैं एक खिड़की में से उन दोनों को देखने लगा.
मेरे दोस्त ने धीरे-धीरे करके रेणु के सारे कपड़े उतार दिए और वो दोनों आपस में चुम्मा चाटी करने लगे.
राजेश उसके ऊपर चढ़ गया था और उसको चोदने के लिए पूरे सुरूर में आ गया था.
मेरे दोस्त ने अपना लंड निकाल कर रेणु की चूत में डाल दिया.
रेणु के मुँह से धीरे-धीरे से कराहने की आवाज निकलने लगी- आई सी उफ धीरे-धीरे करो.
देहाती सेक्स की गर्म आवाजें मुझे साफ़ सुनाई दे रही थीं.
राजेश रेणु को चोद रहा था, लगातार झटके देते चला रहा था.
मैं उन दोनों की चुदाई देख कर लंड हिलाने लगा.
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उसी वक्त मेरे घर पर मेरे चाचा का लड़का आ गया. वो उम्र में मुझसे बड़ा था. उसकी बाहर से आवाज आई तो मेरा लंड बैठ गया.
मैंने झट से अन्दर जाकर अपने दोस्त से बोला कि बड़ा भाई आया है. तुम दोनों चुप रहना, कोई भी आवाज नहीं निकालना.
उस समय मैंने देखा कि वो दोनों बिल्कुल नंगे पड़े थे.
मेरी नजर रेणु की नंगी चूत पर पड़ी. एकदम गुलाबी चूत और उसकी छोटी-छोटी सी चूचियां एकदम उठी हुई नजर आ रही थीं.
मैंने उसे देखा तो मेरी तो आंखें फटी की फटी रह गईं और मेरा लंड धीरे-धीरे फिर से खड़ा होने लगा.
मैंने रेणु को अपने पलंग के नीचे छिपने के लिए बोल दिया. दोस्त के मेरे साथ रहने से मुझे अपने भाई से कोई दिक्कत नहीं होने वाली थी.
कुछ देर बाद मेरे चाचा का लड़का चला गया.
मैंने गेट बंद कर दिया और दोस्त को बोल दिया कि भाई चला गया.
मेरी बात सुनते ही वो दोनों फिर से अपने काम में व्यस्त हो गए.
मैं अपने बाथरूम में जाकर अपने औजार को हिलाने लगा.
मैंने अपना सारा माल बाथरूम में निकाल दिया और बाहर आ गया.
थोड़ी देर बाद उन्होंने भी अपना काम खत्म कर लिया और बाहर निकल गए.
मैंने रेणु को देखा तो उसने अपनी नजरें झुका लीं.
वो हंस रही थी.
उसकी मादक मुस्कान से मैं भी उसको चोदने के बारे में सोचने लगा.
वे दोनों चले गए.
बाद में मैंने अपने दोस्त से रिक्वेस्ट की कि यार मुझे भी रेणु के साथ सेक्स करना है.
वह मान गया और बोला- अगली बार कब बुला लूं बता? हम दोनों साथ में रेणु के साथ चुदाई करेंगे.
मैंने उसे बताया कि आजकल घर में सुबह से शाम तक कोई नहीं रहता है. तुम कल ही उसे बुला लो.
उसने रेणु से फोन पर बात की और अगले दिन चुदाई का प्रोग्राम बन गया.
इससे मुझे भी समझ आ गया कि या तो रेणु एक बड़ी वाली चुदक्कड़ रांड है. या उसे राजेश के लंड से ज्यादा मजा नहीं आता है.
दूसरे दिन राजेश रेणु को मेरे घर लेकर आ गया.
मैंने उन दोनों को घर के अन्दर लिया और खुद बाहर से ताला लगाकर पीछे से अन्दर आ गया.
अब मुझे किसी के आने का डर नहीं था.
मम्मी पापा शाम छह बजे से पहले आने वाले नहीं थे.
राजेश और रेणु दोनों अन्दर कमरे में चले गए और बातचीत करने लगे, एक दूसरे अपनी बांहों में भर कर चुम्मा चाटी करने लगे.
राजेश ने रेणु के सारे कपड़े उतार दिए और कुछ देर बाद राजेश ने मुझे अन्दर आने के लिए कहा.
मेरे अन्दर आते ही रेणु ने अपने कपड़े अपने बदन पर ढक लिए.
राजेश ने कहा- शर्माओ नहीं जान … आज तुझे जन्नत का नजारा दिखाएंगे, हम दोनों तेरी अच्छी से चुदाई करेंगे.
पहले वह मेरे साथ सेक्स के लिए मना करने लगी मगर उसकी आंखें मेरे लंड पर ही टिकी थीं.
राजेश ने उसे मना लिया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा, उसके होंठों को भी चूसने लगा.
वो उसकी चूचियां दबा रहा था.
उसने मुझे भी आने के लिए इशारा किया, तो मैं आ गया.
रेणु छटपटाने लगी और खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी.
राजेश ने उसको पकड़ कर उसके सारे बदन को चूमना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर में वो भी राजेश का साथ देने लगी.
फिर राजेश ने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया.
उसी समय मैंने रेणु को पीछे से पकड़ा और घोड़ी बना लिया.
वो एक बार को छटपटा उठी मगर मैंने भी उसकी चूत चाटना शुरू कर दिया.
शुरू शुरू में रेणु अपनी टांगें फटकार रही थी. मैं पांव पर पांव रखकर उसकी चूत चाटने लगा.
धीरे-धीरे उसे भी मज़ा आने लगा, अब वो अपनी गांड हिलाने लगी.
मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाली और जोर जोर से चुत चाटने लगा.
वह उत्तेजित होने लगी.
वो आगे अपने मुँह में राजेश का लंड चूस रही थी और पीछे से अपनी चूत चटवाने का मजा ले रही थी.
तभी उसके मुँह से गर्म आवाजें निकलने लगीं और वो लंड पेलने की कहने लगी.
मैंने एक पल की भी देर नहीं की और अपना लंड उसकी चूत में रगड़ने लगा.
उसकी चूत बिल्कुल ही गीली हो चुकी थी और वह मेरा लंड अपनी चूत में डलवाने के लिए उत्तेजित हो गई थी.
मैंने जरा भी देर नहीं की और अपना लंड उसकी चुत में डाल दिया.
लंड अन्दर लेते ही वो कराहने लगी, उसे दर्द हो रहा था- उफ मर गई साले … तेरा बहुत बड़ा है.
रेणु कामुक आवाजें निकाल रही थी. मेरा लंड भी अच्छा खासा मोटा और 6 इंच का है.
मैंने उसे धीरे-धीरे चोदना शुरू कर दिया.
राजेश उसके मुँह में अपना लंड डाल कर उसके मुँह में अन्दर बाहर करने लगा.
मैं उसे घोड़ी बनाकर पीछे से अन्दर-बाहर करने लगा, झटके पर झटके मार रहा था.
कुछ देर बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और वह सिसकारियां लेने लगी.
थोड़ी देर बाद मेरा लंड झड़ने ही वाला था तो मैंने अपना सारा माल निकाल कर उसकी गांड के छेद पर डाल दिया.
उसकी गांड मेरे वीर्य से चिकनी हो गई थी. मैंने लंड को उसकी गांड के छेद पर टिका दिया था.
मगर मेरे लंड में अभी भी आग बाकी थी. लंड ने कुछ ही पलों में फिर से सख्त होना शुरू कर दिया था.
वो राजेश की टांगों पर लेट गई थी. उसकी सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं.
मैंने उसकी कमर में हाथ डाला और उसे ऊपर उठा लिया.
वो भी शायद गर्म होने लगी थी. उसे मेरा लंड पसंद आ गया था.
मैंने उसे उठा कर अपने लंड का दाब उसकी गांड के छेद में ही रखा और धीरे-धीरे लंड उसकी गांड के छेद में खिसकाने लगा.
वो कुछ समझ नहीं सकी थी कि मेरा लंड इतनी जल्दी फिर से चुदाई के मूड में आ जाएगा.
दो-तीन मिनट बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और उसकी गांड में घुस गया.
वह अपनी गांड में लंड लेते ही जोर से कराहने लगी.
मैंने उसकी गांड में पेलना शुरू कर दिया और फट फट की आवाज आने लगी.
उसकी गांड शायद पहले भी चुदी हुई थी तो मुझे ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी.
मेरा लंड गांड में अन्दर बाहर होने लगा और उसकी गांड से फ़च फच की आवाज आने लगी.
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और इस बार में 15 मिनट तक उसे चोदता रहा.
फिर अपना सारा माल उसी की गांड में छोड़ दिया.
जब मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो उसकी गांड से वीर्य बाहर निकल रहा था.
उसकी गांड फुदफुदाने लगी.
मैं झड़ कर उसके बाजू में ही लेट गया.
वो मेरे सीने से चिपक कर अपनी सांसें नियंत्रित करने लगी.
इस समय उसकी स्थिति कुछ ऐसी थी कि उसकी एक टांग मेरी टांगों पर थी और एक टांग नीचे थी.
इस वजह से उसकी चुत का छेद राजेश की तरफ खुल बंद हो रहा था.
राजेश ने अपना लंड उसकी गांड में लगाया और उसमें से टपकने वाले मेरे वीर्य से अपने लंड को गीला कर लिया.
रेणु समझ गई कि अब राजेश उसकी चुदाई करने के मूड में आ गया है.
उसने एक हाथ से राजेश का लंड अपनी चुत में लगा लिया और राजेश ने भी अपने लंड को दाब दे दी.
उसका लंड रेणु की चुत में घुस गया.
रेणु ने आह कह कर मुझे चेताया कि अब उसकी चुत में राजेश का लंड चला गया है.
मैंने राजेश से कहा कि उसे नीचे लेकर आराम से चोद लो. ऐसे में मजा नहीं आएगा.
राजेश ने रेणु को लेटा दिया और उसकी टांगें फैलाकर उसे चोदने लगा.
दस मिनट बाद वो भी झड़ गया और बिस्तर में गिर गया.
फिर राजेश ने रेणु से पूछा- कैसा लगा?
उसने कहा- आज तो तुम दोनों ने मुझे मजा ही दे दिया. मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं हवा में उड़ रही हूं.
वह हम दोनों के बीच में लेटी हुई थी और हम दोनों पर अपने हाथ डालकर पड़ी रही.
वो कह रही थी कि आज मुझे चुदाई का पूरा आनन्द मिला है.
फिर मैंने अपने कपड़े पहने और खाने पीने का सामान लेकर आया.
हमने साथ में बैठकर खाया.
फिर मैंने उसको जाने के लिए कह दिया.
आपको मेरी देहाती सेक्स की कहानी कैसी लगी, मुझे ईमेल कर बताएं.